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टेस्टोस्टेरोन और शुक्राणु के बीच क्या संबंध है

टेस्टोस्टेरोन और शुक्राणु के बीच क्या संबंध है? ये प्रजन क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकते हैं?

पुरूषो में एक विशेष हार्मोन है टेस्टोस्टोरोन। यदि किसी पुरूष में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन स्तर सामान्य स्तर से नीचे चला जाता है, तो इसे ही लो टेस्टोस्टेरोन कहते है। यानी टेस्टोस्टेरोन की कमी कहा जाता है। इस हार्मोन की कमी के प्रभाव से शुक्राणु उत्पादन प्रभावित होता है, जिसका असर प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। साथ ही कामेच्छा यानी सेक्स ड्राइव को कम करके स्तंभन दोष की वजह से प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है।

लो टेस्टोस्टेरोन के कारण

टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी के कारणों में बढ़त उम्र, मोटापा, वृषण चोट, ज्यादा मात्रा में श्राब का सेवन, नशीली चीजों का अधिक प्रयोग, डायबिटीज और कैंसर इलाज जैसे किमोथेरेपी सम्मिलित हैं। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के लेवल को बेहतर व संतुलित बनाने के लिए आप अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करके जैसे, धूम्रपान, मदिरापान का त्याग और मोटापा कम करें।

टेस्टोस्टेरोन रिप्लसमेंट थेरेपी का शुक्राणुओं पर प्रभाव

गर्भ धारण करने का प्रयास कर रहे पुरूषों को टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का इस्तेमाल करने बचना चाहिए। वैसे टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी एक लोकप्रिय तरीका जरूर है। लेकिन इसके कारण शुक्राणु उत्पादन में कमी आ सकती है और आपकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है।

लो टेस्टोस्टेरोन हार्मोन क्या है?

टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर सामान्य स्तर से गिर जाता है, तो इसे टेस्टोस्टेरोन की कमी कहते हैं। टेस्टोस्टेरोन की मात्रा को देखते हुए समझें। तो जब एक व्यस्क पुरूष का टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर करीबन 270 से 1070 नैनोग्राम प्रति डेसिलिटर की आम मात्रा से नीचे गिर जाता है, तो इसे लो टेस्टोस्टेरोन हार्मोन माना जाता है। हालांकि ये अलग-अलग पुरूषों के लिए अलग-अलग हो सकता है।

लो टेस्टोस्टेरोन को हाइपोडोनाडिज्म (hypogonadism) के नाम से भी जाना जाता है। इसके कारण कई प्रकार की दिक्कतें पुरूषों को हो सकती हैं। व्यस्क पुरूषों में यह शारीरिक विशेषताओं में परिवर्तन कर सकता है। जैसे बालों का कम होना और आम प्रजनन में मुश्किलें आना।

पुरुष प्रजनन क्षमता पर कम टेस्टोस्टेरोन का प्रभाव

स्पष्ट और सीधे तौर पर हमेशा टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बांझपन का कारण नहीं होता। लो टेस्टोस्टेरोन वाले पुरूष भी हेल्दी स्पर्म पैदा कर सकते हैं। ऐसा इसलिए दरअसल स्पर्म प्रोड्क्शन मुख्य रूप से अन्य हार्मोन द्वारा उत्तेजित होता है। वैसे कम टेस्टोस्टेरोन के कारण शुक्राणुओं की संख्या में कमी आ सकती है। टेस्टिकल में टेस्टोस्टेरोन का लेवल, जहां शुक्राणु बनते हैं, रक्त में टेस्टोस्टेरोन के लेवल से बहुत ज्यादा होता है।

प्रजनन क्षमता पर लो टेस्टोस्टेरोन के अप्रत्यक्ष प्रभाव में लो सेक्स ड्राइव शामिल है। जिसके कारण कामेच्छा की कमी भी हो सकती है। यह स्तंभन दोष के लिए भी जिम्मेदार साबित हो सकता है। िइसी वजह से पुरूष को लिंग में कम तनाव या तनाव आये भी तो पहले जितना सख्त और लंबा तनाव नहीं आता है। इससे चरमोत्कर्ष तक पहुंचना या प्रजनन के लिए पर्याप्त बार सेक्स करना मुश्किल हो सकता है।

कम टेस्टोस्टेरोन का इलाज कैसे किया जाता है?

एक आदमी उपचार चाहता है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर होना चाहिए कि उसका टेस्टोस्टेरोन कितना कम है और यदि वह लक्षणों की परेशान करने वाली डिग्री का अनुभव कर रहा है|

लो टेस्टोस्टेरोन का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि किसी पुरूष में टेस्टोस्टेरोन कितना कम। अगर सामान्य टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर से नीचे टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर है, तो कुछ लक्षणों को पहचान व्यक्ति का उपचार किया जाता है। कुछ लक्षण नीचे दिये जा रहे हैं:

  • कामेच्छा की कमी
  • कम इरेक्शन और कमजोर इरेक्शन
  • मांसपेशियों का नुकसान
  • मूड स्विंग्स
  • थकान