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याददाश्त तेज करने के घरेलू उपाय

याददाश्त तेज करने के घरेलू उपाय

तेज दिमाग और अच्छी याददाश्त हर कोई चाहता है। लेकिन जब याददाश्त कमजोर होने लगे तो व्यक्ति परेशान होने लगता है। साथ ही बढ़ती उम्र के साथ मेमोरी लॉस या कमजोर होने की संभावना भी बढ़ने लगती है। अगर आप भी महसूस कर रहे हैं कि आपकी याददाश्त कम हो रही है या कमजोर हो रही है, तो दिमाग तेज करने के इन घरेलू उपायों की मदद लें। इस हिंदी लेख में बताये जा रहे याददाश्त तेज करने के घरेलू उपाय, आपकी मेमोरी को शार्प बनने में मददगार साबित हो सकते हैं। आपको व्यवहार और कार्य कुशल बनाने में सहायता कर सकते हैं।

मेमोरी ( याददाश्त ) कमजोर के होने के शुरूआती लक्षण

हम ये अनुमान ही नहीं लगा पाते हैं कि हमारी याददाश्त धीरे-धीरे कमजोर हो रही है। कई बार हम याददाश्त कमजोर होने के लक्षणों के नजरअंदाज कर देते हैं। हमें पता ही नहीं चलता कि हम कमजोर याददाश्त के होते जा रहे हैं। अगर आपको भी ये शुरूआती लक्षण दिखाई दें, तो आप समझ जायें कि आपकी याददाश्त कमजोर हो रही है। जैसे कि अभी पढ़ा या पढ़ाया हुआ भूल जाना। कोई भी चीज कहीं रखकर भूल जाना। किसी ने अभी कुछ कहा और तुरन्त बाहर निकलते ही भूल गये। किसी इंसान या परिचित का नाम भूल जाना। या फिर कई बार आपके साथ ऐसा भी होतो होगा कि आप किसी से जरूरी बात करने के लिए कॉल लगाते हैं। लेकिन वहां से हैलो बोलते ही, आपके दिमाग से सब साफ हो जाता है। आप भूल ही जाते हैं कि किस खास वजह से आपने सामने वाले को कॉल लगाया था।
अगर ये सब लक्षण आपके साथ पेश आ रहे हैं। तो अब आपको सावधान होने की जरूरत है। ये शुरूआती लक्षण हैं जो आपको इशारा कर रहे हैं कि आपकी मेमोरी कमजोर हो रही है। इसपर आपको ध्यान देन की जरूरत है और काम करने की जरूरत है। इसलिए इस हिंदी आर्टिकल में मेमोरी को तेल करने और बढ़ती उम्र में भी अच्छी मेमोरी बनाये रखने के लिए बेहद आसान घरेलू उपाय बता रहे हैं। अगर आप इन उपायों का सही से अनुसरण करेंगे, तो इससे आपकी याददाश्त तेज होने में मदद मिलेगी।

कोई आर्ट वर्क करें

किसी भी कला को निखारने के लिए तेज दिमाग होना जरूरी है। अच्छी और तेज याददाश्त आपके लंबे अनुभवों को याद रखने में मदद करते हैं। जो कि कोई ऑट वर्क में बेहद काम आते हैं। इसलिए मेमोरी को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए सबसे बेस्ट तरीका है, आप अपनी कला को निखारें। कोई भी आर्ट आप अपना सकते हैं। जैसे कार्टून बनाना, तस्वीर बनाना आदि। पुरानी बेकार चीजों से नई-नई क्रिएटिविटी कर सकते हैं। कई रिसर्च से ये बात सामने आई है कि फोटो बनाने से डिमेंश्यि जैसी बीमारी को भी ठीक किया जा सकता है।

पुरानी मेमोरिज को ताजा करें

माइंड को रिलेक्स और हेल्दी रखने के लिए कई बार पुरानी यादों का ताजा करन भी अच्छा होता है। इससे दिमाग मजबूत होता है। अक्सर जब हम अपनी पुरानी खुशनमा यादों को ताजा करते हैं, तो इससे एक प्रकार से हमारे माइंड की एक्सरसाइज होती है। जिससे हमारी याददाश्त मजबूत होती हे।

रोजाना व्यायाम करें

दिमागी रोग के एक्सपर्ट का ऐसा मानना है कि रोजाना कसरत या वर्कआउट करने से याददाश्त जल्दी कमजोर नहीं होती है। लंबे समय तक हमारा दिमाग स्वस्थ रहता है। दरअसल रोजाना एक्सरसाइज करने से या दौड़ने से नर्व सिस्टम सही रहता है। जिसकी मदद से हमारा दिमाग बेहतर तरीके से काम करता है। हमें छोटी-बड़ी लंबे समय तक याद रहती है। चीजों को जल्दी समझने में मदद मिलती है।

काम के बीच में ब्रेक लें

याददाश्त अच्छी रहे, इसलिए आपको दिमाग को आराम देने की जरूरत भी होती है। इसलिए जब भी कोई भारी या हल्का काम भी लंबे समय तक करते हैं, तो बीच में ब्रेक जरूर लें। जैसे कि अगर आप कई घंटों से लगातार पढ़ रहे हैं, तो बीच रूक कर दिमाग को आराम दें। इसके अलावा साल भर जी-तोड़ काम करने वाले काम के बीच में भी अपने लिए वक्त निकालें। कहीं यात्रा पर जायें, ताकि आपके शरीर और दिमाग दोनों को रिलेक्स मिल सके। इससलिए आपका दिमाग भी स्वस्थ रहेगा और याददाश्त भी बेहतर होगी।

दोपहर को एक झपकी जरूर लें

यूं तो ईश्वर ने आराम से सोने के लिए रात बनाई है। लेकिन रिसर्च बताती है कि दिन के समय व्यक्ति को एक झपकी तो लेनी ही चाहिए। दरअसल दोपहर के समय हल्दी नींद लेने से याददाश्त ज्यादा अच्छी होती है। माइंड रिलेक्स होता है, साथ ही शरीर को भी थोड़ा आराम मिल जाता है। जिससे व्यक्ति आगे का कार्य बेहतर तरीके से कर पाता है।

मेडिटेशन करें

नियम से प्रतिदिन ध्यान (मेडिटेशन) करने से दिमाग को बेहद शांति और ऊर्जा मिलती है। इससे तनाव को कम करने में मदद मिलती है। जिसकी वजह से एकाग्रता बढ़ती है और याददाश्त मजबूत होती है

सेब खायें

ब्रेन में मेमोरी को बढ़ाने के लिए सेब का सेवन करना भी फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल सेब में एंटीऑक्सीडेंट्स नाम का तत्व होते है। जो ब्रेन की सेल्स को नुकसान होने से बचाव करते हैं। इसलिए याददाश्त को बेहतर बनाये रखने के लिए अपनी डाइट में सेब को शामिल जरूर करें।

युवा पीढ़ी में मेमोरी लॉस के कारण

यूं तो बढ़ती उम्र या बुजुर्गावस्था में याददाश्त कमजोर होने के लक्षण देखे जाते हैं। लेकिन आज न्यू लाइफ स्टाइल में युवा वर्ग में भी मेमोरी लॉस की प्रॉब्लम देखी जा सकती है। जिसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार गलत खानपान और लाइफ स्टाइल को ठहराया जा सकता है। ये समस्या छोटी-छोटी चीजों से शुरू होती है और बाद में ना जाने किस सीमा तक आगे बढ़ जाती है। अगर आप भी यही समस्या झेल रहे हैं, तो आपको अपनी हेल्थ पर ध्यान देने की जरूरत है।
कमजोर याददाश्त और मेमोरी लॉस के लिए जिम्मेदार कई कारण हो सकते हैं। आइए कुछ कारणों अथवा आदतों पर नजर डालते हैं, जिसके कारण लोगों को याददाश्त से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

मेमोरी लॉस का कारण

मानसिक तनाव

आज की फास्ट और व्यस्त जीवन शैली के कारण लोगों पर मानसिक तनाव का बोझ बढ़ता जा रहा है। युवा पीढ़ी अपनी शिक्षा और भविष्य को लेकर तनाव ले रहे हैं। घर के बड़े बच्चों व परिवार की टेंशन में घिरे हुए हैं। घर का और ऑफिस के काम का बोझ। कुल मिलाकर हर तरह से तनाव को दिमाग पर हावी होने दे रहे हैं। जिसका असर दिमाग की याददाश्त पर भी पड़ता है। मेमोरी लॉस की संभावना बढ़ सकती है।

अनियमित और असंतुलित आहार

आज की युवा पीढ़ी अपनी व्यस्ता और समय के अभाव में अपने खानपान पर ध्यान नहीं दे पा रही है। गलत डाइट ले रहे हैं। जंक फूड और फास्ट फूड पर निर्भर हो गई है। खाने-पीने का कोई एक सही समय नहीं है। कभी भी कुछ भी कैसा भी खा लिया। जिसके कारण शरीर को को जरूरी तत्व नहीं मिल पाता है। जिसका असर मेमोरी पर पड़ता है, क्योंकि संतुलित आहार अच्छी याददाश्त के जरूरी होती है।

अपर्याप्त नींद

नींद की कमी के कारण भी युवावर्ग में कमजोर याददाश्त के लक्षण हो सकते हैं। रात को देर से सोने की आदत और सुबह नींद पूरी ना होने के कारण दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। दिमाग को पूरी तरह आराम नहीं मिल पाता है। जिसके कारण मेमोरी प्रभावित हो सकती है और याददाश्यत में कमी हो सकती है।

नशे की लत

इस फैशनेबल लाइफ में युवा पीढ़ी शराब और सिगरेट को एक स्टेटस सिंबल की तरह देख रहे हैं। नशा आदी करना एक शान समझ रहे हैं। जिसका असर शुरूआत में पता नहीं चलता। लेकिन धीरे-धीरे वो इसके आदी हो जाते हैं, जोकि लत बन जाती है। परिणाम स्वरूप लंबे समय तक नशाखोरी करने से उनकी मेमोरी पर असर पड़ने लगता है। कम उम्र में ही मेमोरी लॉस की संभावना बढ़ने लगती है। याददाश्त कमजोर होने लगती है। दरअसल शराब और सिगरेट के लंबे सेवन के कारण धीरे-धीरे ब्रेन में डोपामाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर की कमी होने लगती है। हमारा शरीर सही तरीके से काम कर सके, इसके लिए डोपामाइन की पर्याप्त मात्रा होना जरूरी होता है। लेकिन ज्यादा शराब या सिगरेट पीने से डोपामाइन कम होने लगता है। फलस्वरूप याददाश्त कमजोर हो सकती है।

मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल

देर रात तक मोबाइल चलाना और कम्प्यूटर पर काम करना। ये आदतें कमजोर याददाश्त का कारण बन सकती हैं। दरअसल मोबाइल से निकलने वाली रेज, दिमाग के काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती कहै। ऐसे में मेलोट्रिनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर का बहाव बहुत घट जाता है। इसी वजह से नींद ना आने की समस्या होने लगती है। जोकि भविष्य में याददाश्त को कमजोर बना सकती है।