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बवासीर के कारण और इससे बचने के उपाय

बवासीर के कारण और इससे बचने के उपाय

आज वर्तमान में पाइल्स की दिक्कत आम हो चुकी है। कई ऐसे लोग मिल जो बवासीर की समस्या से परेशान हैं। महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में यह रोग अधिक देखने को मिलता है। घरेलू उपचार की मदद से आप बवासीर का इलाज कर सकते हैं। गुंदा क्षेत्र के पास या गुदा के नीचे मौजूद नसों में सूजन ही बवासीर होता है। बवासीर के कारण गुदा के पास नुकसानदायक कोशिकाओं का समूह एकत्र हो जाता है। जहां तक बवासीर के कारणों की बात है, इस पर स्पष्ट टिप्पणी नहीं की जा सकती है। वैसे तो पाइल्स की समस्या गंभीर नहीं होती है। लेकिन इस समस्या के कारण व्यक्ति को काफी दिक्कतों का सामना कर पड़ता है। घरेलू तरीकों और लाइफ स्टाइल में परिवर्तन करके इस रोग में आराम पाया जा सकता है। आइए बवासीर के कारण और लक्षणों के बारे में जानने से पहले बवासीर के प्रकार पर चर्चा कर लेते हैं।

बवासीर के प्रकार (Types of Piles in Hindi)

पाइल्स के दो टाइप यानी प्रकार होते हैं। आंतरिक बवासीर (Internal haemorrhoids) और बाहरी बवासीर (External haemorrhoids)।

बाहरी बवासीर: इस समस्या में गुदा के बाहर त्वचा के निचले हिस्से में बवासीर विकसित होता है। यह बहुत ही मामूली और दर्दनाक होता है। बाहरी बवासीर में रोगी को गुदा क्षेत्र के पास खुजलि, तीव्र पीड़ा होती है। जिसके कारण रोगी को बैठने में बहुत दिक्कत पेश आ सकती है।

आंतरिक बवासीर: गुदा के अंदर के हिस्से में इस प्रकार का बवासीर विकसित होता है। जो दर्दरहित होता है और दिखाई भी नहीं देता। मल त्याग के दौरान ये स्वयं ही निकल भी जाते हैं। लेकिन अनायस ही फिर से लौट आने की संभावना भी रहती है।

बवासीर के प्रमुख कारण

महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान बवासीर होने का खतरा ज्यादा रहता है। क्योंकि इस दौरान महिलाओं के गुदे पर अधिक दबाव रहता है। इस वजह से गुदे के चारों ओर नसें फैलने लगती हैं, जिसकी वजह से सूजन और दर्द की शिकायत हो सकती है। गुदे के निचले हिस्से में दबाव की वजह से ही बवासीर की समस्या होती है। इसके साथ ही कई अन्य कारणों से भी बवासीर हो सकती है।

गर्भावस्था के समय महिलाओं में पाइल्स रोग होने की संभावना अधिक रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रिगनेंसी के दौरान महिलाओं के गुदा पर कसाव ज्यादा होने लगता है। जिस कारण गुदे आसपास की नसें फैलने लगती हैं और गुदा क्षेत्र में दर्द व सूजन की परेशानी भी हो सकती है। गुदा के नीचे वाल भाग में दबाव के कारण बवासीर की समस्या होती है। इसके अलावा भी अन्य कारण हो सकते हैं पाइल्स की समस्या के लिए।

आइए कुछ कारणों को जानते हैं:-

  • लंबे समय तक कब्ज व दस्त की शिकायत।
  • अत्यधिक फैट व मोटापा।
  • महिलाओं में गर्भावस्था।
  • मल त्याग के समय अधिक तनाव।
  • अप्राकृतिक संभोग (गुदा संभोग)।
  • जरूरत से ज्यादा भारी वजन उठाना।
  • अनुवांशिक भी एक कारण हो सकता है बवासीर के लिए।
  • फाइबरयुक्त आहार का कम सेवन करना।
  • देर तक शौच के लिए बैठने की आदत भी बवासीर का कारण बन सकती है।

बवासीर की जांच प्रक्रिया  (Hemorrhoids test procedure)

  • बाहरी बवासीर की समस्या में चिकित्सक बाहरी शारीरिक जांच करते हैं। लेकिन आंतरिक बवासीर की समस्या होने पर चिकित्सक कुछ जरूरी टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं:-
  • दृश्य निरीक्षण (Visual inspection)
  • डिजिटल परीक्षण (Digital examination)
  • कॉलोनोस्कोपी (colonoscopy)
  • सिग्मोइडोस्कोपी (sigmoidoscopy)
  • बवासीर का उपचार (Treatment of Haemorrhoids)

पाइल्स का समय रहते चिकित्स द्वारा उपचार साधारण तरीके से संभव है। लेकिन इसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए। किसी कारण से यदि बवासीर की समस्या असामान्य हो जाये, तो डॉक्टर्स सर्जरी द्वारा उपचार करते हैं। इसके अतिरिक्त बवासीर का उपचार निम्न तरीको से भी किया जा सकता है:-

दवाईयाँ: बवासीर के आरम्भिक लक्षणों में चिकित्सक हल्की-फुल्की दवाईयाँ देते हैं। इसके अलावा प्रभावित क्षेत्र पर मलहम, क्रीम, सपोसिटरी या पैड का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। फिर भी अगर आपको एक सप्ताह के भीतर पाइल्स की समस्या में आराम ना मिले। तो इस स्थिति में अन्य उपचार विधि द्वारा बवासीर की समस्या को ठीक करने का प्रयास किया जाता है। यहां एक सावधानी बरतें कि एक सप्ताह से अधिक गुदा पर क्रीम का प्रयोग ना करें।

बैडिंग: पाइल्स रोग होने पर चिकित्सक गुदा के चारों ओर बैडिंग लगा देते हैं। ताकि प्रभावित हिस्से पर खून ना पहुंच पाये और रक्त की आपूर्ति होने पर बवासीर गिर जाये। बेशक इस उपचार विधि में रोगी को थोड़ा कष्ट हो सकता है। इस उपचार प्रक्रिया में कम से कम 2 से 4 दिन का अंतराल लग सकता है।

स्क्लेरोथेरेपी: बवासीर होने पर रोगी को इंजेक्शन देकर ये थैरेपी दी जाती है। ताकि बवासीर सूख जाये और सिकुड़ जाये। ऐसा इसलिए भी किया जाता है, जिससे कोशिकाओं में इसकी वृद्धि की संभावना कम हो जाये।

इसके अतिरिक्त कुछ पाइल्स रोगियों को इन्फ्रारेड कोगुलेशन थैरेपी दी जाती है। जिसका मक्सद यह होता है कि तरंगों के जरिए बवासीर नष्ट हो सके और रोगी को आराम मिल सके।

बवासीर कितना गंभीर हो सकता है?

यूं तो बवासीर कोई गंभीर बीमारी नहीं है। जरूरी देखरेख, परहेज, अच्छी लाइफ स्टाइल और उपचार के माध्यम से इसे ठीक किया जा सकता है। लेकिन फिर भी इसके शुरूआती लक्षणों में ही इसे पहचान कर इसका इलाज कराना चाहिए।

अन्यथा रोगियों को कई अन्य प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। कुछ निम्नलिखित हैं:-

एनीमिया (Anemia)

पाइल्स की समस्या लंबे समय तक रहने से रोगी के शरीर में खून की कमी हो सकती है। एनीमिया होने की संभावना बनी रहती है। रक्ताल्पता की शिकायत होने पर रोगी के शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन का प्रवाह भली-भांति नहीं हो पाता है।

अस्थिर हेमोराइड (Strangulated hemorrhoid)

बवासीर होने अगर किसी रोगी को एनीमिया की समस्रू हो जाये। तब ऐसी स्थिति में रोगी को अत्यधिक पीड़ा का अनुभव करना पड़ सकता है। यदि आपको बवासीर से संबंधित कोई लक्षण दिखे, तो जल्दी चिकित्सक से संपर्क करें।

बवासीर से बचने के उपाय

नीचे सुझाये गये तरीकों की मदद से आप बवासीर से बचाव कर सकते हैं।

  • पाइल्स की समस्या से बचने के लिए जितना संभव हो पानी जरूर पिएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से कब्ज की समस्या होने की संभावना बहुत कम होती है। शरीर में पानी की कमी से मल त्यागने में कठिनाई होती है, जिसके कारण बवासीर होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • ज्यादा से ज्यादा फाइरबरयुक्कत आहार का सेवन करना शुरू करें। जैसे कि रेशेदार फल, सब्जियां, साबुत अनाज आदि।
  • बजरी, पत्थर और टाइल्स जैसे ठोस जगह पर लंबे समय तक ना बैठें। इसके कारण आपके गुदा पर अधिक दबाव पड़ता है और पाइल्स की समस्या की संभावना बन जाती है।
  • प्रतिदिन नियम से व्यायाम करने की आदत जरूर डालें। आलस्य जीवन के कारण भी बवासीर हो सकता है।
  • अधिक समय तक शौचालय में ना बैठें।
  • मल त्याग के दौरान लंबे समय तक शौचालय में ना बैठें।
  • अपने नसों पर दबाव ना पड़ने दें।
  • गुदा क्षेत्र के नसों पर अधिक दबाव ना पड़ने दें।
  • जितना हो सके शरीर को अत्यधिक मोटा होने से रोकें।